निश्चय रक्षा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय रक्षा – Nishchaya Rakshaa. Absolutely devoid of lust, passion etc. वीतराग मुनियों के रागादि का अभाव होना जिसे निश्चय नय से अहिंसा भी कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय रक्षा – Nishchaya Rakshaa. Absolutely devoid of lust, passion etc. वीतराग मुनियों के रागादि का अभाव होना जिसे निश्चय नय से अहिंसा भी कहते है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय मोक्षमार्ग – Nishchaya Mokshamaarga. Absolute path of salvation . मुनियों में होने वाली निश्चय सम्यग्दर्शन, ज्ञान एवं चरित्ररूपी त्रिरत्न की एकता अर्थात शुक्लध्यान की अवस्था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय भोक्ता भोग्यभाव – Nishchaya Bhoktaa Bhogyabhaava. Absolute consuption of self (self engrossment). शुद्धात्मा ही भोग्य अर्थात अनुभव करने योग्य है तथा शुद्धात्मा ही भोक्ता अर्थात् अनुभव करने वाला है, ऐसा निश्चय कर में स्थिर हो जाना ” यह मुनि अवस्था में ही घटित होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय भक्ति – Nishchaya Bhakti. Engrossment into self. मुनि अवस्था में आत्मगुणों में तन्मयता निश्चयभक्ति है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय ब्रह्मचर्य – Nishchaya Brahmacharya. Absolute engrossment into own soul. ब्रह्म शब्द का अर्थ निर्मल ज्ञान स्वरूप आत्मा है, मुनि अवस्था में उस आत्मा में लीन होना निश्चय –ब्रह्मचर्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रोषधोपवास – Nishchaya Proshadhopavaasa. Engrossment into self with renouncing all kinds of food taking. मुनि अवस्था में चतुर्विध आहार छोड़कर आत्मा के ध्यान में निमग्नहोना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्राण – Nishchaya Praana. Absolute consciousness. शुद्ध ज्ञान व दर्शन निश्चय प्राण है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रभावना – Nishchaya Prabhaavanaa. Enlightening the soul by the influence of right belief-knowledge & conduct. मुनि अवस्था में सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चरित्र रूप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाशमान करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रत्याख्यान – Nishchaya Pratyaakhyaana. Absolute renunciation (to have real knowledge). मुनि अवस्था में अपने से भिन्न पदार्थों को पर जान उन्हें उसी समय छोड़ देना ” अतः वास्तव में ज्ञान ही प्रत्याख्यान है ऐसा निश्चय कर आत्मा में स्थिर हो जाना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय प्रतिक्रमण – Nishchaya Pratikranana. Absolute penitential retreat for good & bad Karmas. पूर्वकृत जो अनेक प्रकार के विस्तार वाले शुभ व अशुभ कर्म है, उनकों आत्मा से पृथक करके आत्मलीन होना ” यह मुनि अवस्था में ही घटित होता है “