पार्श्वदेव!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वदेव – Parsvadeva. Disciple of Yashdevacharya and who wrote Sangitsamaysar. संगीतसमयसार के रचयिता एवं यशदेवाचार्य के शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वदेव – Parsvadeva. Disciple of Yashdevacharya and who wrote Sangitsamaysar. संगीतसमयसार के रचयिता एवं यशदेवाचार्य के शिष्य “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वकृष्टि – Parsvakrsti. A type of Krishtics (gradual destruction of passions). पहले समय में की गई कृष्टि के समान ही अनुभाग लिये जो नवीन कृष्टि द्वितीयादि समयों में की जाती है, पूर्व कृष्टि के पार्श्व में ही उनका स्थान होने से वह पार्श्व कृष्टि कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्वतेय – Parvateya. A type of Vidyadhars of Matang caste. मातंग्ड जाति विध्याधरों का एक भेद; हरे रंग के वस्त्रों से तथा नाना प्रकार की माला व् मुकुटों से युक्त “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्थिवी धारणा – Parthivi Dharana. A specified contemplation (of Pindastha Dhyana) visualising the scenes of earthen elements. पिण्डस्थ ध्यान की ५ धारणाओंमें प्रथम धारणा; पिण्डस्थ दयां करने वाला योगी पहले शांत और सफेद समुद्र का ध्यान करे, फिर उसके मध्य में स्वर्ण कमल का चिंतन करे, तत्पश्चात उस कमल के मध्य स्थित कर्णिका में…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारिषद्देव – Parisadadeva. Friendly deities of a council. इन्द्र सभा के सदस्य देंव, जो सभा में मित्रवत् होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारिव्राज्य क्रिया – Parivrajya Kriya. Abandoning of worldly life after completing household duties. कर्त्रन्वयी ७ क्रियाओं में एक क्रिया; ग्रहस्थ धर्म का पालन करने के पश्चात् मुनि दीक्षा ग्रहण करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारियात्र – Pariyatra. Northem part Vindhya country, Name of a mountain. विन्ध्य देश का उत्तरीय भाग, एक पर्वत “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारितापिकी क्रिया – Paritapiki Kriya. Activity causing pain to self & others. साम्परायिक आस्त्रव की २५ क्रियाओं में एक क्रिया; जो क्रिया स्वयं व् दूसरे को दुख उत्पन्न करावे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारिणामिक ॠध्दि – Parinamika Rddhi. A type of supernatural power. बुध्दिॠध्दि के १८ भेदों में १५वें भेद अष्टांग महानिमित्त के तीन भेदों में तीसरा भेद- जिसके प्रभाव से निज- निज जाति विशेषों में बुध्दि उत्पन्न होती है (धवला पुस्तक ९ से) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पारिणामिक भाव – Parinamika Bhava. A type of instinct of nature of living beings. जीव के निज ५ भावों में एक भाव. इसके तीन भेद होते हैं- जीवत्व, भव्यत्व और अभव्यत्व “