माताजी द्वारा समयसार अनुवाद प्रारंभ। (ज्ञानमती_माताजी_की_आत्मकथा) समयसार अनुवाद प्रारंभ- द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ला ५, श्रुत पंचमी कहलाता है। दिनाँक १९ जून को जिनवाणी की पूजा कराके हम सभी ने श्रुतपंचमी की क्रिया सम्पन्न की पुनः मैंने समयसार की दोनों टीकाओं का अनुवाद शुरू किया। पहले ईसवी सन् १९७८ में मैंने दिल्ली में यह अनुवाद प्रारंभ किया…
”अ. भा. पद्मावती पुरवाल सामाजिक संगठन, इन्दौर की ओर से समाज के लिये आदर्श आचार संहिता” —निर्मल कुमार जैन (पुष्पगिरि वाले) सदियों पूर्व से हमारी शुद्धचर्या, पांडित्यपूर्ण आचरण की श्रेष्ठता, पद्मावतीपुरवाल जाति की विशेष पहचान रही है, साथ ही इन जाति की कुल—खानदान तथा वंश परम्परा की पूर्ण शुचिता सदैव दूसरों के लिए…
कच्छा विदेहक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत के ९ कूट परचक्कभीदिरहिदो अण्णायपयट्टणेिह परिहीणो। अइवट्ठिअणावट्ठीपरिचत्तो सव्वकालेसुं।।२२५१।। अवदुंबरफलसरिसा धम्माभासा ण तत्थ सुव्वंति। सिववम्मविण्हुचंडीरविससिबुद्धाण ण पुरािण।।२२५२।। पासंडसमयचत्तो सम्माइट्ठीजणोधसंछण्णो। णवरि विसेसो केिस पयट्ठदे भावमिच्छत्तं।।२२५३।। मागधवरतणुवेहि य पभासदीवेिह कच्छविजयस्स। सोहेदि उवसमुद्दो वेदीचउतोरणेिह जुदो।।२२५४।। अंतोमुहुत्तमवरं कोडी पुव्वाण होदि उक्कस्सं। आउस्स य परिमाणं णराण णारीण कच्छम्मि।।२२५५।। पुव्व १०००००००। उच्छेहो दंडािण पंचसया विविहवण्णमावण्णं। चउसट्ठी पुट्ठट्ठी…
विद्याधर के स्वामी महाबल इसी जम्बूद्वीप में विदेहक्षेत्र के अंतर्गत ‘गंधिला’ नाम का देश है। अपने इस भरतक्षेत्र के सदृश वहाँ पर भी मध्य में विजयार्ध पर्वत है, जिसकी दक्षिण-उत्तर दोनों ही श्रेणियों में विद्याधर लोग निवास करते हैं। इस पर्वत की उत्तर श्रेणी में ‘अलका’ नाम की सुन्दर नगरी है। वहाँ पर ‘महाबल’ नाम…