श्री विमलनाथ विधान
जैन धर्म के १३ वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ ने कम्पिलापुरी में महाराजा कृतवर्मा एवं माता जयश्यामा के महल में जन्म लिया और सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया | पञ्चकल्याणक की महिमा से युक्त ऐसे श्री विमलनाथ का यह विधान है | परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने जिनधर्म की महान प्रभावना करते हुए ५०० ग्रंथों की रचना की जिसमें यह विधान भी बहुत चमत्कारिक है | विधान में ३ पूजा , १०८ अर्घ्य , १ पूर्णार्घ्य है और ३ जयमाला हैं | जयमाला में सोलहकारण भावना का सुन्दर वर्णन है | अंत में कम्पिलापुरी तीर्थ पूजा, आरती , भजन आदि हैं | यह विधान सभी के जीवन में सुख – शान्ति , समृद्धि को करे यही पवित्र भावना है |