श्री कुन्थुनाथ विधान
जैनधर्म के सत्रहवें तीर्थंकर भगवान कुन्थुनाथ ने अपनी पावन रज से हस्तिनापुर की धरा को पवित्र किया | पिता सूरसेन एवं माता श्रीकांता के महल में जन्में भगवान के चार कल्याणक यहीं पर हुए और मोक्ष सम्मेदशिखर से प्राप्त किया |
चौबीसों तीर्थंकरों की विधान रचना के क्रम में पूज्य माताजी द्वारा रचित इस कृति में ३ पूजा , १०८ अर्घ्य , १ पूर्णार्घ्य तथा ३ जयमाला हैं | यह विधान और विधान की रचनाकर्त्री युग-युग तक जयवंत रहें |