पशुक्रंदन!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पशुक्रंदन Weeping or screaming in pain by animals the reason of renunciation from worldly life of Lord neminath. पशुओ के रोने चीखने की आवाज, जिसे सुन भगवान नेमिनाथ को वैराग्य हुआ था।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पशुक्रंदन Weeping or screaming in pain by animals the reason of renunciation from worldly life of Lord neminath. पशुओ के रोने चीखने की आवाज, जिसे सुन भगवान नेमिनाथ को वैराग्य हुआ था।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्यायार्थिक चक्षु A type of perception related to the nature of matters. वस्तु स्वरुप को देखने की एक दृष्टि।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पश्चंती A type of language. शब्दाद्र्वतवादी द्वारा मान्य 4 प्रकार की वाणी मे से एक। जैनमत के अनुसार इसे उपयोगात्मक भाव वचन कहते हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्यायवान Matter with particular form or mode. द्रव्य का लक्षण, अर्थ व्यंजन पर्याय वाला द्रव्य होता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्याय ज्ञान A type of scriptural knowledge. श्रुतज्ञान के 20 भेदेा मे प्रथम भेद है। वह ज्ञान सूक्ष्म निगोदिया लब्धयप्र्याप्तक जीवो के होता है। वह श्रुंतज्ञानावरण के आवरण से रहित होता हैं।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्याय दृष्टि Viewpoint of wrong believer. मिथ्यादृष्टि की दृष्टि।
कर्मसिद्धांत- नये परिप्रेक्ष्य में –डॉ. सुभाष चन्द्र जैन,मुम्बई कर्म सिद्धान्त की चर्चा में कर्म शब्द का उपयोग दो विभिन्न प्रसंग में किया जाता है। प्राणी कर्म करते हैं और कर्म बांधते भी हैं। ‘करने’ वाले और ‘बंधने’ वाले कर्मों के अर्थ में अंतर हैं। दोनों तरह के कर्म, यानी ‘करने’ वाले और ‘बंधने’ वाले कर्म…
सातवां व्यसन (परस्त्री सेवन नरक का द्वार है) अपनी विवाहित स्त्री के सिवाय दूसरी स्त्रियों के साथ रमण करना—व्यभिचार करना परस्त्री सेवन नाम का व्यसन है। परस्त्री की अभिलाषा मात्र से ही पाप लगता है, तो फिर उसके सेवन करने से तो महापाप का ही बन्ध होता है। इस व्यसन में रावण का नाम पौराणिक…