उत्तम शौंचधर्म!
उत्तम शौच धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) शुचि का जो भाव शौच वो ही, मन से सब लोभ दूर करना। निर्लोभ भावना से नित ही, सब जग को स्वप्न सदृश गिनना।। जिस प्रकार अत्यन्त घृणित मद्य से भरा हुआ घड़ा यदि बहुत बार शुद्ध जल से धोया भी जावे तो वह शुद्ध नहीं…