आर्यखण्ड मध्यलोक में असंख्यात द्वीप और असंख्यात समुद्र हैं। उन सब के मध्य सर्वप्रथम द्वीप का नाम जम्बूद्वीप है। यह एक लाख योजन (४० करोड़ मील) विस्तार वाला, थाली के समान गोल है। इस द्वीप के बीचों-बीच एक लाख योजन ऊँचा सुमेरू पर्वत है जिसका भूमि पर विस्तार दस हजार योजन है। इस जम्बूद्वीप में…
जम्बूद्वीप रचना एक लाख योजन विस्तृत गोलाकार (थाली सदृश) इस जम्बूद्वीप में हिमवान्, महाहिमवान्, निषध, नील, रुक्मी और शिखरी इन छह कुलाचलों से विभाजित सात क्षेत्र हैं—भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत। भरत क्षेत्र का दक्षिण उत्तर विस्तार ५२६ योजन है। आगे पर्वत और क्षेत्र के विस्तार विदेह क्षेत्र तक दूने-दूने हैं…
त्रिलोक भास्कर -गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जिनवाणी के करणानुयोग विभाग में जैन भूगोल की जानकारी आती है । इस विषय में “लोकाकाश” से जुड़े हुए कुछ प्रश्न प्रस्तुत है । प्रश्नोत्तर प्रस्तुतकर्ता – पंकज जैन शाह- चिंचवड, पुणे, महाराष्ट्र लोकाकाश कहाँ स्थित है ? केवली भगवान कथित अनन्तानन्त आलोकाकाश के बहुमध्य भाग में ३४३ घन राजु…