कुन्दकुन्द मणिमाला
पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने आचार्य कुंदकुंद द्वारा रचित ग्रंथों में से अति महत्वपूर्ण 108 गाथाओं को संकलित करके इस कुंदकुंद मणि माला ग्रंथ का सृजन किया है एवं उसका भावार्थ किया है, तथा प्रज्ञाश्रमणी आर्यिकारत्न श्री चंदनामति माताजी ने उन प्रत्येक गाथाओं का हिंदी पद्यानुवाद करके उसे अधिक सरस बना दिया है ।
इन 108 गाथाओं को पांच अधिकारों में विभक्त किया गया है सर्वप्रथम “भक्ति अधिकार” में दश भक्तियों का विशेष वर्णन किया गया है और अंत में वीतराग चारित्र का फल बताते हुए केवलज्ञान की महिमा का विशेष वर्णन किया गया है
इस पुस्तक का स्वाध्याय करके अपने ज्ञान का खूब अर्जन करें, यही मंगल भावना है