सिद्धचक्रयंत्र वृहत!
सिद्धचक्रयंत्र वृहत – Siddhacakra Yamtra Vrhat. A metallic plate engraved with someauspicious mystic worlds & diagrams. सिद्धचक्र के विशिष्ट मंत्रों द्वारा विभिन्न रेखाकृतियों में चिचित्र यंत्र ।
सिद्धचक्रयंत्र वृहत – Siddhacakra Yamtra Vrhat. A metallic plate engraved with someauspicious mystic worlds & diagrams. सिद्धचक्र के विशिष्ट मंत्रों द्वारा विभिन्न रेखाकृतियों में चिचित्र यंत्र ।
सिद्ध भक्ति – Siddha Bhakti. A type of devotional prayer (eulogical hymn) written by Acharya Kund Kund in rakrit & by Acharya Pujyapad in Sanskrit. 10 भक्तियों में एक भक्ति । इसे प्राकृत में आचार्य कुन्द-कुन्द एवं संस्कृत में आचार्य पूज्यपाद ने लिखा है।
सिंहचंद्र – Singhacandra Name of the 5th predestined Balabhadra. आगामी पांचवा बलभद्र ।
सिंहबल – Singhabala. Name of a great Acharya. लोहाचार्य के पश्चात हुए आचार्यो में एक आचार्य ।
सिद्धांतसेन-Siddhantasena. Name of a saint, the spiritual teacher of Gonsen. द्रविड़संघ की गुर्वावली के अनुसार गोणसेन के गुरू तथा अनंतवीर्य के दादागुरू (940-1000) ।
सिद्धलोक -Siddhaloka. The supreme world, place of salvated souls. इन्द्रक विमान के ध्सजदण्ड से 12 योजन ऊपर जाकर स्थित है। इसकी मोटाई 8 योजन है।
सिद्धांतसार संग्रह -Siddhantasara Sangraha. Name of a book written by Acharya Narendrasena. आचार्य नरेन्द्रसेन (ई0 1098) द्वारा रचित तत्वार्थ प्ररूपक संस्कृत छंद बद्ध ग्रन्थ । इसमें 12 अधिकार व कुल 1924 श्लोक है।
सिद्धांत – Siddhanata. Principles, doctrines, theries, Philosophies. शास्त्र के अर्थ की संस्थिति किये गये अर्थ को सिद्धांत या सिद्धांत शास्त्र कहते है। प्रमाण द्वारा किसी बात को स्वीकार कर लेना सिद्धांत है।
सिद्धांतन कूट- Siddhant Kuta. Name of particular summits (having Jaina temples) situated at Varshadhar, Gajdant etc. mountains. मध्यलोक के 458 अकृत्रिम जिनालय या चैत्यालय सिद्धायतन कूट कहे जाते है। षट् कुलाचर्लो (पर्वतों), गजदन्त वक्षारगिरि आदि पर्वतों में प्रत्येक पर एक-एक सिद्धायतन कूट है, जिन पर स्वयं सिद्ध जिन प्रतिमाएं विराजमान है।
सिद्धसेन दिवाकर (आचार्य) – Siddasena Divakara (Acarya). Name of a great writer who is famous in both Digambar & Shvetambar sects. सन्मति सूत्र और कुछ द्वात्रिंषकायों के रचयिता । ये दिगम्बर-श्वेताम्बर दोनों आम्नाओं में प्रसिद्ध है। समय- वि0 625 । कुछ लोग कल्याण मंदिर स्तोत्र के रचियता कुमुदचन्द्र आचार्य का अपरनाम भी ’सिद्धसेन’ मानते है।