मार्गोपसयंत!
मार्गोपसयंत–Maargopasyant. Mutual enquiry by saints for the well–beings of other saints. अपने संघ से आये मुनि, तथा अपने स्थान में रहने वाले मुनियों से आपस में आने–जाने के विषय में कुशल का पूछना”
मार्गोपसयंत–Maargopasyant. Mutual enquiry by saints for the well–beings of other saints. अपने संघ से आये मुनि, तथा अपने स्थान में रहने वाले मुनियों से आपस में आने–जाने के विषय में कुशल का पूछना”
मार्ग सम्यक्त्वार्य–Marg Samyaktvarya. A kind of nobel person who get right perception only by listening about salvation. अन्रद्धि प्राप्त दर्शनार्य का एक भेद” वीतरागी मोक्श्रगी के सुनने मात्र से सम्यग्दर्शन को प्राप्त हुए जीव”
सारस्वत – Sarasvata A type of specific heavenly deities (Laukntik Devas), Name of a country of west Arya Khand of Bharat Kshetra (region). लौकांतिक देवों 8 भेदों में प्रथम भेद, भरतक्षेत्र के पश्चिम आर्यखण्ड का एक देश ।
सावद्य वचन – Savadya vacana. Speech containing sinful meanings. बिना विचारे बोले गये प्राणियों की हिंसा के कारणभूत वचन सावद्य वचन है।
मिश्रआहारक कयायोग–Mishra Aahaarak kayayog. See – Aahaarak Mishra Kayayog. देखे–आहारक मिश्र कयायोग”
माहेन्द्र– Mahendra. Name of a city in the northern Vijayardh mountain, Name of the 4th heaven, A chief disciple of Lord Rishabhdev, A majical weapon. विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर, चौथा स्वर्ग, भगवान वृषभदेव का एक गणधर, एक विघास्त्र”
मिथ्यत्वादिक– Mithyatvaadik. Reasons or causes of Karmic bindings. कर्मबंध के हेतु मिथ्या, अविरति, प्रमाद, कषय, योग”
मिथ्या तापस– Mithya Tapas. Wrong ascetic. सम्यक्त्व से रहित पंचाग्री आदि मिथ्या तप करने वाला”
मित्र– Mitra. A friend, the 30th Patal (layerof Saudharma heaven, The 42nd chief disciple of Lord Rishabhdev, Name of a presiding deity of a lunar Anuradha. दोस्त, जो निःस्वार्थ भाव से हित करे अथवा पाप से बचाए, सौधर्म स्वर्ग का 30वाँ पटल, भगवान वृषभदेव का 42वाँ गणधर, अनुराधा नक्षत्र का अधिपति देवता”