आत्मसमुत्थ!
आत्मसमुत्थ Something (bliss or fault) originated from the soul. आत्मा से उत्पन्न होने वाला आनंद या दोष।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मसमुत्थ Something (bliss or fault) originated from the soul. आत्मा से उत्पन्न होने वाला आनंद या दोष।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मप्रत्यक्ष Self perception by the soul i.e. introspection. आत्म तत्व रूपादि से रहित होने के कारण इन्द्रिय से दिखाई देने वाला नहीं है वह स्वयंगोचर होने वाला एंव आत्मप्रत्यक्ष है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
केवलज्ञान- असहाय ज्ञान को केवल ज्ञान कहते हैं, क्योंकि वह इन्द्रिय, प्रकाष और मनस्कार अर्थत् मनोव्यापार की अपेक्षा से रहित है । अथवा केवलज्ञान आत्मा और अर्थ से अतिरिक्त किसी इन्द्रियादिक सहायक की अपेक्षा से रहित है इसलिए भी वह केवल अर्थात् असहाय है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्माश्रय Selfness. स्वयं अपने लिए अपनी अपेक्षा बनाये रखना या आत्मनिर्भर होना या एक दोष (न्याय ग्रन्थ से)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मप्रवाद A type of scriptural knowledge (shrutgyan). 14 पूर्वों में 7 वां पूर्व जिसमें आत्म द्रव्य का विस्तार से विवेचन है इसके 26 करोड़ पद हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मसुख Spiritual happiness or bliss. स्वसंवेदन अर्थात् आत्मा का साक्षात् दर्शनरूप अनुभ्सव होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
केवल ज्ञान [[जैन दर्शन]] के अनुसार केवल विशुद्धतम ज्ञान को कहते हैं। इस ज्ञान के चार प्रतिबंधक कर्म होते हैं- मोहनीय, ज्ञानावरण, दर्शनवरण तथा अंतराय। इन चारों कर्मों का क्षय होने से केवलज्ञान का उदय होता हैं। इन कर्मों में सर्वप्रथम मोहकर का, तदनन्तर इतर तीनों कर्मों का एक साथ ही क्षय होता है। केवलज्ञान…
आदित्ययश Name of the son of Bharat Chakravarti. चक्रवर्ती भारत का पुत्र, अपरनाम अर्ककीर्ति।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्यन्तिक क्षय Annihilation of Karmas. कर्मों का पूर्ण रूपेण नष्ट हो जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]