सुकच्छा!
सुकच्छा – Sukacchaa. Name of a country situated in the western Videh Kshetra (region). पश्चिम विदेह क्षेत्र का एक देश ।
सुकच्छा – Sukacchaa. Name of a country situated in the western Videh Kshetra (region). पश्चिम विदेह क्षेत्र का एक देश ।
सीता – Sita. The daughter of kind Janak, the wife of Ram. राजा जनक की पुत्री, राम की पत्नी, वनवास में राम के संग गयी । रावण इसे हरकर ले गया, रावण द्वारा अनक प्रलोभन एवं भय दिखाने पर भी अपने शील में अडिग रहीं । अंत में राम के द्वारा अग्निपरीक्षा लेने पर विरक्त…
सुकच्छ विजय – Sukaccha Vijaya. Name of a summit of Vakshargiri (mountain) & its presiding deity of east Videh (region). पूर्व विदेहस्थ चित्रकूट वक्षारगिरि का एक कूट व उसका स्वामी देव ।
सुतारा – Sutaraa. The wife of Sugreev. सुग्रीव की पत्नी। साहसगति विद्याधर इस पर मुग्ध था किन्तु इसे अल्पायु बताये जाने से इसका विवाह साहसगति से न कर सुग्रीव से किया गया था ।
सुगन्ध – Sugandha. Sweet smelling, fragrance, aroma, Name of a protecting deity of southern Arunabhas island. Name of a protecting peripatetic deity of Arun Ocean. खुशबू , दक्षिण अरूणाभाश द्वीप का रक्षक देव ।
सिद्धांतसार – Siddhantasar Name of a treatise written by Bhavsen traividya. भावसेन त्रैविद्य (ई0 श0 13 मध्य) कृत 700 श्लोक प्रमाण ग्रन्थ, जिस पर प्रभाचंद्र नं0 6 (ई0 श0 13 उत्तरार्ध) कृत एक कन्नड़ टीका है।
सुखोदय क्रिया -Sukhodaya Kriyaa. One of the 53 auspicious activities (related to obtaining heavenly state of Indra). गर्भान्वय की 53 क्रियाओं में इन्द्र पद की प्राप्ति कराने वाली 36 वीं क्रिया । इस क्रिया से पुण्यात्मा श्रावक इन्द्र के समान योग्य सुख भोगते हुए देवलोक में रहता है।
सिरिवालचरिउ – Sirivalcariu. The tale of Shripal-Maina-sundri written by poet Raidhu, Name of an Apabhransh book written by poet Raidhu, Name of an apabhransh book Brahma Damodar. कवि रइधु (वि0 1457-1556) कृत श्रीपाल-मैना सुंदरी आख्यान, कवि ब्रहम दामोदर (वि0 श0 16 उत्तरार्ध) कृत अपभ्रंश काव्य ।
सुखानुभूति – Sukhanubhuti. Feeling of Joy. सुख का अनुभव होना, समस्त रागादि विकल्पोपाधि रहित निश्चय मोक्ष मार्ग के अनेक पर्यायवाची नामों में एक नाम ।
सुदर्शन (स्वर्ग) -Sudarshana (Swarga). The firs of the nine Graiveyaks (heavenly places). नव ग्रैवेयक में प्रथम ग्रैवेयक ।