मिश्रअसद्भूत व्यवहार नय!
मिश्रअसद्भूत व्यवहार नय–Mishra Asadbhut Vyavhar Nay. A standpoint related to inappropriate mixing of matters. स्वजाति–विजाति द्रव्य–गुण–पर्याय का एक–दुसरे में जिस नय से आरोपण किया जाए”
मिश्रअसद्भूत व्यवहार नय–Mishra Asadbhut Vyavhar Nay. A standpoint related to inappropriate mixing of matters. स्वजाति–विजाति द्रव्य–गुण–पर्याय का एक–दुसरे में जिस नय से आरोपण किया जाए”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मार्ग स्मयग्दर्शन–Marg Samyagdarshan. Right attitude towards path of salvation. दर्शन मोह का उपशम होने से ग्रन्थ श्रवण के बिना कल्याणकारी मोक्ष मार्ग का श्रद्धानहोना”
साहसगति – Sahasagati. The son of kind Chakrank, who wished to get the wife of Sugriv. राजा चक्रंक का पुत्र-एक विद्याधर । सुग्रीव की स्त्री को प्राप्त करने के अर्थ से इसने विद्या सिंद्ध की थी ।
सलंबन ध्यान – Salambana Dhyana. Religious contemplation. धर्मध्यान या आलम्बन सहित ध्यान
सामायिक शुद्धि संयम -Samayika Suddhi Sanyama. Renunciation of Sinful Activities (restraint with equanimous purity). द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा सकल सावद्ययोग के त्याग को सामायिक शुद्धि संयम कहते है।
मिथ्यादर्शन क्रिया– Mithyadarshan Kriya. The approval of the activities of a wrong doer. आस्रव की 25 क्रियाओ में 24वी क्रिया; मिथ्यादर्शन के साधनों से युक्त पुरुष की प्रशंसा आदि करके उसे मीथातव में द्रंढ करना”
सावद्य कर्माय- Savadya Karmarya. A type of noble persons who remain engaged in occupational activities for their livelihood. असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य, शिल्प षट्कार्य द्वारा आजीविका करने वाले सावद्य कर्मार्य है।
सारस्वत यंत्र- Sarasvata Yaintra. A type of metallic plate engraved wit some auspicious mystic words & diagrams. विशिष्ट सारस्वत मंत्रों एवं रेखाकृतियों से निर्मित एक यंत्र ।
श्रृष्टि -Srsti. Creation of the world or universe. संसार की रचना, प्रकृति, प्राकृतिक संपत्ति । वैदिक मतावलम्बी इसे मायावच्छिन्न ईष्वर की रचना मानते है। जबकि जैन धर्म के अनुसार सृष्टि की व्यवस्था स्वसंचालित अनादिनिधन है इसका कर्ता, हर्ता कोई भी नही है।
सारसंग्रह – Sarasangraha. Name of a composition composed by acharya Pujyapad. आचार्य पूज्यपाद (ई॰ श॰ 5) की एक संस्कृत छंदबद्ध रचना । ‘