आत्मसुख!
आत्मसुख Spiritual happiness or bliss. स्वसंवेदन अर्थात् आत्मा का साक्षात् दर्शनरूप अनुभ्सव होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मसुख Spiritual happiness or bliss. स्वसंवेदन अर्थात् आत्मा का साक्षात् दर्शनरूप अनुभ्सव होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
केवल ज्ञान [[जैन दर्शन]] के अनुसार केवल विशुद्धतम ज्ञान को कहते हैं। इस ज्ञान के चार प्रतिबंधक कर्म होते हैं- मोहनीय, ज्ञानावरण, दर्शनवरण तथा अंतराय। इन चारों कर्मों का क्षय होने से केवलज्ञान का उदय होता हैं। इन कर्मों में सर्वप्रथम मोहकर का, तदनन्तर इतर तीनों कर्मों का एक साथ ही क्षय होता है। केवलज्ञान…
आदित्ययश Name of the son of Bharat Chakravarti. चक्रवर्ती भारत का पुत्र, अपरनाम अर्ककीर्ति।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्यन्तिक क्षय Annihilation of Karmas. कर्मों का पूर्ण रूपेण नष्ट हो जाना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आदेयनाम कर्म प्रकृति Karma which causes lustre in body. जिस कर्म के उदय से शरीर कांति सहित होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आदिपुराण A treatise containing details about Lord Adinath written by Acharya Jinsen. महापुराण-तीर्थंकर आदिनाथ के जीवनवृत्त पर जिनसेन आचार्य कृत अपूर्ण ग्रन्थ जिसे उनके शिष्य गुणभद्राचार्य ने पूर्ण किया।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मसंस्कार Self – improvement. निज परम आत्मा में शुद्ध संस्कार करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मोत्पत्र Internal bliss. सुख का एक प्रकार।आत्मा के द्वारा उत्पन्न सुख।[[श्रेणी:शब्दकोष]]