जय जय श्री वीर जिन, हम जपें रात दिन, तेरी माला!
जय जय श्री वीर तर्ज—तुमसे लागी लगन…… जय जय श्री वीर जिन, हम जपें रात दिन, तेरी माला, शांत हो जिससे कर्मों की ज्वाला।।टेक.।। एक मेंढक ने भी भक्ति करके। देवपद पाया निज शक्ति करके।। उसकी श्रद्धा जगी, वीर से लौ लगी, पाप टाला, शांत हो जिससे कर्मों की ज्वाला।।१।। राजा श्रेणिक…