वीरा तेरे तीरथ का, मुझे दर्श जो मल जावे!
वीरा तेरे तीरथ का तर्ज—गुरुवर तेरे चरणों की…… वीरा तेरे तीरथ का, मुझे दर्श जो मिल जावे। तीरथ के दरश पाकर, मन उपवन खिल जावे।। टेक.।। वह कुण्डलपुर नगरी, वीरान हुई प्रभुजी। वह वीरानी लखकर, पत्थर भी पिघल जावे।। वीरा.।।१।। माँ ज्ञानमती जी को, दैवी प्रेरणा मिली। उस प्रेरणा के बल पर, वह…