पूछकर शशि धरातल के चाँद को कुछ बहाने से!
पूछकर शशि धरातल पूछकर शशि धरातल के चाँद को कुछ बहाने से। ज्योत्स्नाओं से बह निकले सुधा निर्झर सुहाने से।। यही तो चाँद है जिसको मेरा अमृत पिलाना है। गगन औ भूमि में अमरत्व का संदेश लाना है।।१।। णमंसामि क्रिया जिनके चरणरज को नमन करती। नीर से भर कलशझारी पादकमलों में नित नमती।। आर्यिका…