भक्ती की भर ली गगरिया!
भक्ती की भर तर्ज—हमरी गुलाबी चुनरिया………………. भक्ती की भर ली गगरिया, कि भव पार कर दो संवरिया।। टेक.।। क्षीर समुद्र से जल भर लाए-२ रिमझिम सी बरसे बदरिया, कि भव पार कर दो सांवरिया।।१।। इन्द्राणी प्रभु का तन अंगोछे-२ लेकर शुद्ध चद रिया, कि भव पार कर दो सांवरिया।।२।। ऐरावत हाथी पे बिठाया-२ पांडुक…