कल्पद्रुम पूजा महा, कलियुग में वरदान है!
कल्पद्रुम पूजा महा तर्ज-फूलों सा चेहरा तेरा…………………………………………. कल्पद्रुम पूजा महा, कलियुग में वरदान है, कार्य की सिद्धि हो, …
कल्पद्रुम पूजा महा तर्ज-फूलों सा चेहरा तेरा…………………………………………. कल्पद्रुम पूजा महा, कलियुग में वरदान है, कार्य की सिद्धि हो, …
करो रे अभिषेक प्रभू का तर्ज – अरे रे मेरी…………. करो रे अभिषेक प्रभू का,पुष्पदंतेश प्रभू का, जयरामा माता के लाल का।।करो रे.।। काकंदी जी तीर्थ में प्रभू विराजमान, यही नगरी है इनका जनमस्थान। पुष्पदंत प्रभु को है मेरा प्रणाम, इनका नाम जपने से बनते हैं काम।।करो रे.।।टेक.।। नवमें तीर्थंकर पुष्पदंतनाथ हैं, शुक्रग्रह…
पुष्पदंत प्रभु जन्मभूमि में तर्ज-माई रे माई………. पुष्पदंत प्रभु जन्मभूमि में, गूँज उठी शहनाई। सौ-सौ वर्षों बाद जहाँ, खुशियों की बेला आई।। जिनवर पुष्पदंत की जय, उनकी जन्मभूमि की जय.।।टेक.।। काकंदी वह पुण्यभूमि है, पुष्पदंत जहाँ जनमे। जयरामा सुग्रीव मात-पितु हर्षे थे निज मन में।। इन्द्रों की टोली स्वर्गों से,काकंदी में…
आओ रे आओ खुशियाँ तर्ज-माई रे माई………………………………………. आओ रे आओ खुशियाँ मनाओ, वीर जयंती आई। …
ऐसी शक्ति मिले तर्ज—ऐसी शक्ति हमें…………………………………… ऐसी शक्ति मिले हमको भगवन्! पाप से दूर जब रह सकें हम। …
क्षीरोदधि के जल से तर्ज-जय जय माँ………. क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो। श्री पुष्पदंत प्रभु का, मस्तकाभिषेक करो।।टेक.।। काकंदी नगरी में, यह मंगल अवसर है। जहाँ नूतन मंदिर में, नवमें तीर्थंकर हैं।। उन तीर्थंकर पद में, वंदन सिर टेक करो। क्षीरोदधि के जल से, मस्तकाभिषेक करो।।१।। गणिनी माँ ज्ञानमती, की सम्प्रेरणा…
उत्सव बहुत मनाया तर्ज-चूड़ी मजा न देगी……………………………………………. उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया। …
पद्मचिन्हयुत पद्मप्रभू के, श्रीचरणों में नमन करें तर्ज—आओ बच्चों तुम्हें…… पद्मचिन्हयुत पद्मप्रभू के, श्रीचरणों में नमन करें। कौशाम्बी के तीर्थ प्रभासगिरी को सब मिल चमन करें।। वन्दे जिनवरम्, वन्दे जिनवरम्-२।। टेक.।। कौशाम्बी में धरणराज की, रानी एक सुसीमा थीं। जिनके सुख वैभव की धरती पर नहिं कोई सीमा थी।। इन्द्रों द्वारा पूज्य वहाँ…
इक कहानी कहूँ तर्ज—ऐसी लागी लगन…………………………………………….. इक कहानी कहूँ, प्रभु की वाणी कहूँ, …
आओ रे आओ रे सब मिल के आओ तर्ज कान्ची हो कान्ची रे…….. आओ रे आओ रे सब मिल के आओ, प्रभु जी का उत्सव मनाओ रे। हो……….. गाओ रे गाओ रे सब मिलके गाओ, पुष्पदंतनाथ गुण गाओ रे।। हो……।।टेक.।। नवमें तीर्थेश जो जगत् ईश हैं, पुष्पदंत प्रभु का मस्तकाभिषेक है। स्वर्ण…