है स्वयंसिद्ध की मूर्ति जहाँ
है स्वयंसिद्ध की मूर्ति जहाँ तर्ज—है प्रीत जहाँ की…………………….. हैं स्वयं सिद्ध की मूर्ति जहाँ, हम उसकी बात बताते हैं। हस्तिनापुरी में तेरहद्वीप के, दर्शन चलो कराते हैं।।टेक.।। तीनों लोकों में मध्यलोक के, अन्दर द्वीप असंख्य कहे। उनमें से तेरहद्वीपों की, रचना में ही जिनबिम्ब रहें।। चउशत अट्ठावन अकृत्रिम, मंदिर की कथा…