चक्रेश्वरी माता की पूजन रचयित्री-ब्र.कु. सारिका जैन (संघस्थ) स्थापना तर्ज-दीक्षा लेकर………. चलो सभी मिल पूजा करने, श्री चक्रेश्वरी माता की। ऋषभदेव की शासन देवी, महिमाशाली माता की।। इनका आराधन करने से, भक्तों के सब कष्ट भगें। जो इनकी पूजा करते हैं, उनके दुःख दारिद्र नशें।। आह्वानन स्थापन करके, करें अर्चना माता की-करें अर्चना…
अनावृतयक्ष पूजा मेरोरीशानभागे कुरुषु मणिमयस्योत्तरेषु स्थितस्य। श्रीजंबूभूरुहस्य स्थितिजुषमनिशं पूर्वशाखास्थसौधे।। शंखं चक्रं च कुंडिं दधतमुरुकरैररक्षमालां च कृष्णंष्ट्वं। पक्षीन्द्रारुढमस्या भवदिशि विधिनानावृतेन्द्रं यजामि।। ओं दशदिशाधिनाथं त्रैलोक्यदंडनायकं जंबूद्वीपाधिपतिं गरुडपृष्ठमारूढं स्निग्धभृंगांजनाभमक्षसूत्रकमंडलुव्यग्रहस्तं चतुर्भुजं शंखचक्रविधृतभुजादंडं यक्षिणीसहितं सपरिजन-सपरिवारमनावृतं देवमाव्हानयामहे स्वाहा।। हे अनावृत यक्ष! आगच्छ २ संवौषट्०।।पुष्पांजलिं।। अनावृताय स्वाहा।। अनावृतपरिजनाय स्वाहा। अनावृतानुचराय स्वाहा।। अनावृतमहतराय स्वाहा।। अग्नये स्वाहा।। अनिलाय स्वाहा।। वरुणाय स्वाहा।। प्रजापतये…
मेरे घर जिनवर आए हैं तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे……….. मेरे घर जिनवर आए हैं-२ तीर्थंकर श्री शांतिनाथ मुनि बनकर आए हैं।।मेरे.।।टेक.।। छह खण्ड धरा को जीता तो चक्रवर्ति कहलाए। वैराग्य हुआ तो सब कुछ तज महामुनी कहलाए।। मेरे घर जिनवर आए हैं। सिद्धं नम: कह दीक्षा ग्रहण कर योगी कहाए…
शांतिनाथ प्रभु को है, मेरा नमन तर्ज—बहुत प्यार करते हैं हम…… शांतिनाथ प्रभु को है, मेरा नमन। चरण में समर्पित-२ हैं भक्ती सुमन।। शांतिनाथ……।। टेक.।। माँ ऐरादेवी के घर, रत्न खूब बरसे। हस्तिनापुरी में पिता, विश्वसेन हरषे।। ज्येष्ठ वदी चौदश को-२, हुआ प्रभु जनम।। शांतिनाथ……।।१।। चक्रवर्ती पाँचवें वे, शांतिनाथ स्वामी हैं।…
शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं तर्ज—सोनागिरी में सोना…… शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं। उनके पंचकल्याण की महिमा न्यारी है।। तीन लोक की रचना सुन्दर बन गई, ज्ञानमती माताजी की भावना रही।। शांति-कुंथु-अरनाथ की प्रतिमा प्यारी हैं। उनके पंचकल्याण की महिमा न्यारी है।।टेक.।। हस्तिनापुर तीर्थ की धरती हुई पावन। जो तीन तीर्थंकर…
शांतिनाथ की जन्मभूमि, हस्तिनापुरी विख्यात तर्ज—पारस प्रभू जी मेरी नैया लगा दो पार…… शांतिनाथ की जन्मभूमि, हस्तिनापुरी विख्यात। जम्बूद्वीप की रचना से, पावन हुई वो धरती आज।। टेक.।। विश्वसेन नृप ऐरा देवी, का था महल जहाँ पर। धनकुबेर ने पन्द्रह पहिने, रत्नवृष्टि की जहाँ पर।। उसी तीर्थ का वंदन करके, करूँ जनम…
विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली। तर्ज—ज्योति से ज्योति जलाते चलो…… विश्वशांति की ज्योति जली, ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा मिली। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के, द्वारा अहिंसा की ज्योति जली।। टेक.।। धर्म और विज्ञान ने धरती का, सदैव शृंगार किया। इक दूजे के पूरक बनकर, नामों को साकार किया।। दोनों…
शांतिनाथ की जन्मभूमि से गूंज उठी शहनाई तर्ज—माई रे माई…… शांतिनाथ की जन्मभूमि से गूंज उठी शहनाई। विश्वशांति के हेतु राष्ट्रपति जी ने ज्योति जलाई।। जय हो विश्व धर्म की जय, अहिंसा परम धर्म की जय।। टेक.।। दुनिया के सब देश चाहते, आपस में मैत्री हो। फिर भी क्यों आतंक बढ़ा है,…