घड़ियाँ सुहानी आई रे…घड़ियाँ!
घड़ियाँ सुहानी आई रे तर्ज—पुरवा सुहानी आई रे…… घड़ियाँ सुहानी आई रे……घड़ियाँ गणिनी ज्ञानमती जी की, पावन जन्म जयंती की, खुशियाँ सभी में छाई रे……।। टेक.।। नहिं कल्पवृक्षों के पूल मेरे पास।। हो…… केवल भक्ति सुमनों से पूजा करूँ मात।। हो…… भक्ती का भाव ले, मन में उछाव ले, जनता उमड़ आई…