माँ! चरणों में तुम्हें नमस्ते…….!
माँ! चरणों में तुम्हें नमस्ते……. ज्ञाननन्दनी वरदनन्दनी ज्ञानमती माँ तुम्हें नमस्ते।।१।। आशा हो जन-जन की तुम माँ अत: तुम्हें सविनम्र नमस्ते।।२।। नारी पद की पराकाष्ठा तुमने धारी तुम्हें नमस्ते।।३।। गगन चुम्बि चारित अवधारी करते लाखों भक्त नमस्ते।।४।। ज्ञानी-ध्यानी हो विज्ञानी रत्नत्रय की मूर्ति नमस्ते।।५।। जम्बूद्वीप निर्माण सुकत्र्री पद कमलों में सदा नमस्ते।।६।। बचपन में वैराग्य…