विनयांजलि,!
विनयांजलि जैनधर्म की दिव्य ज्योत्सना नभ की तुम धु्रवतारा। हे ज्ञानमती माँ तुम्हें नमन है- शत-शत बार हमारा।। कठिन साधना पथ को चुन कर- साधक बन सरल बनाया। बाल ब्रह्मचारिणी, बन गणिनी नरभव सफल बनाया। बीते वर्ष पचास त्याग संग, तीरथ भी उद्धारा। हे ज्ञानमती माँ तुम्हें नमन है- शत-शत बार हमारा।। रत्नत्रय के सोपानों…