शाम सबेरे दो घड़ी तू आतम ध्यान लगाया कर!
शाम सबेरे दो घड़ी शाम सबेरे दो घड़ी, तू आतम ध्यान लगाया कर। यही तपस्या है बड़ी, तू राग और द्वेष हटाया कर।।टेक.।। सोचा कर तू मन में मैं हूँ, कौन कहाँ से आया हूँ। क्या करना था मुझे यहाँ पर, क्या कुछ कर मैं पाया हूँ। जाना है किस ठोर को तू,…