सुनो रे, सुनो रे कुन्दकुन्द की कहानी!
सुनो रे सुनो सुनो रे सुनो कुन्दकुन्द की कहानी, कौण्डकुण्डपुर ग्राम की निशानी। कलियुग में बतलाई जिनने, वीर प्रभू की वाणी।। टेक.।। समयसार है प्रगट जहाँ, वहाँ मूलाचार भी छिपा नहीं है। नियमसार में वर्णित रत्नत्रय संगम की धार वहीं है।। सुनो रे, सुनो रे……।।१।। कुन्दकुन्द ने निश्चय अरु व्यवहार समन्वय बतलाया।…