जैन धर्म
जैन धर्म
दिल्ली – नजफगढ वी. नि. सं. २५०९ , सन् १९७३ के चातुर्मास में भावत्रिभंगी ग्रन्थ का अनुवाद किया | आचार्य श्रुतमुनि विरचित इस कृति में क्षायिक आदि ५ भावों में मार्गणाओं व गुणस्थानों को इसका अनुवाद करके सैद्धांतिक चर्चा प्रेमियों के लिए इसे सुगम बना दिया है |