Diksa
Diksa Initiation
षट्खण्डागम ग्रंथ की ‘‘सिद्धान्तचिंतामणि टीका’’ का संक्षिप्त इतिहास -गणिनी ज्ञानमती षट्खण्डागम ग्रंथ की ‘‘सिद्धान्तचिंतामणि टीका’’ लिखने का प्रारंभ मैंने आश्विन शु. १५, वीर नि. सं. २५२१, दिनाँक ८-१०-१९९५ को हस्तिनापुर तीर्थ पर किया, पुनश्च मगसिर शु. ६ (दिनाँक २७-११-१९९५) को विहार करते हुए मांगीतुंगी तीर्थ पहुँचकर वहाँ प्रतिष्ठा महोत्सव एवं वर्षायोग पूर्णकर वापस आते हुए…
चतुर्विध संघ के अधिनायक आचार्य परमेष्ठी होते हैं, ये छत्तीस मूलगुणोंके धारक होते हैं, संघ के शिष्यों को शिक्षा, दीक्षा और प्रायश्चित्त आदि देते हैं | संघ के सभी शिष्य
मुनि -आर्यिका, क्षुल्लक- क्षुल्लिका आदि इन आचार्य की वंदना करते समय कौन सी भक्तियां पड़ी जाती हैं ये आपको यहां बताया गया है |