संकल्प की शक्ति
डा. निर्मल जैन
भक्ति भक्ति के बिना जीवन का उद्धार संभव नहीं। ईश्वर की कृय जब होती है तभी करने का सुअवसर मानव को मिलता है। मनुष्य निमित मात्र है, उनकी इच्छा के बिना कुछ संभव नहीं। उनकी कृपा के बिना एक पता भी नहीं हिलता। प्रभु सृष्टि के सुजनहार, पालनहार और कल्याण के अधिष्ठाता है। कहा जीवनदाता,…
अनुरक्ति अनुरक्ति शब्द अनुराग से बना है जिसका अर्थ प्रेम होता है। यद्यपि समाज में प्रेम के अनेक रूप है, परंतु अनुरक्ति उन सबसे अलग है। कभी- कभी हम अज्ञानवश आसक्ति को अनुरक्ति समझ लेते हैं, जो सर्वथा अनुचित है। गुण धर्म के आधार पर इनमें बहुत अंतर होता है। बाहरी आकर्षण का विषय होने…
कल्पना कल्पना की उपयोगिता असीम है। जो हम कल्पना करते हैं वही कल्पना हमारी प्रेरणा बनती है और उसके आधार पर ही हम प्रयास कर उसको साकार बनाते हैं। कल्पना मानव मस्तिष्क की सृजनशीलता की पहली कड़ी है। कोई भी विचार, सिद्धांत, आविष्कार चाहे वह आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, विज्ञान एवं तकनीकी, शिक्षा, मूल्य, दर्शन…
सार्थक जीवन प्रायः प्रत्येक व्यक्ति में गुण और अवगुण दोनों का समावेश होता है। हमारा चिंतन सदैव गुणों की ओर, सकारात्मकता की ओर, अच्छाई की ओर होना चाहिए। इसमें हमें वास्तविक शांति और प्रसन्नता का अनुभव होगा। निराशावादी, नकारात्मक एवं अवगुणों से भरे मनुष्य अपने चारों और अभाव और दोष का दर्शन करते हैं। वे…
प्रयत्नशील व्यक्ति जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं है। कार्य को असंभव और संभव हमारा मन और मस्तिष्क ही बनाते हैं। हमारी दृढ इच्छाशक्ति, मजबूत इरादे अनवरत श्रम और अहर्निश प्रयत्न कितने भी दुष्कर लक्ष्य को भेद ही देते हैं। वहीं, यदि हम मानसिक रूप से स्वयं को कमजोर कर दें, प्रयत्न छोड़ दें…
ॐ जाप व भ्रामरी प्राणायाम अस्थमा पर लगाम किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा हो जाए तो इससे मुक्ति पाना मुश्किल हो जाता है। एम्स, नई दिल्ली के डा. एसके काबरा विशेषज्ञों के शोध से प्रोफेसर पीडियाट्रिक यह साबित हुआ है एम्स नई दिल्ली कि भ्रामरी प्राणायाम और ऊं के जाप से…
भावना भावनाएं मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जिस व्यक्ति के भीतर जिस प्रकार की भावनाएं आकार लेगी, उसका व्यक्तित्व भी उसी अनुरूप विकसित होता जाता है। भावनाएं वास्तव में हमें आंतरिक संदेश देती हैं कि हम जिस स्थिति में हैं था हम जो कर रहे हैं, वाह हमारे विश्वास, हमारी मान्यताओं…
अहंकार का त्याग बुद्धि दी प्रकार की होती है सदबुद्धि और कुयुद्धि। प्रतिभा को जिस प्रकार की बुद्धि का संग संग मिल जाता है, उसकी वैसी ही गति हो जाती है। प्रतिभाशाली व्यक्ति के पीछे अहंकार एक परछाई की तरह पीछे लग जाता है। सद्बुद्धि वाला व्यक्ति तो सही समय पर जाग जाता है और…