गणधरवलय विधान
भगवान महावीर के शासनकाल में श्री गौतमस्वामी के गुणों का गुणानुवाद करते हुए श्रीगौतम गणधर वर्ष के अंतर्गत इस विधान की रचना की है | श्री गौतम स्वामी भगवान महावीर के प्रथम गणधर थे , वे भगवान के समवसरण में ३० वर्ष तक रहे एवं सम्पूर्ण ज्ञान को प्राप्त किया |
इस विधान में श्री शुभचंद्र आचार्य विरचित गणधर पूजा विधान से अभिषेक पाठ दिया गया है एवं संस्कृत विधान के आधार से विस्तार से भाषा विधान की रचना पूज्य माताजी ने की है | यह विधान अतिशय चमत्कारी है | इसे करके सभी अपने जीवन में रोग, शोक को दूर कर स्वस्थ , दीर्घ आयु को प्राप्त कर सुख- संपत्ति की प्राप्ति करे यही मंगल कामना है |