10.(7.1) ‘‘धम्मो मंगल-मुद्दिट्ठं, अहिंसा …….(सम्यक् चारित्र का वर्णन)
‘‘धम्मो मंगल-मुद्दिट्ठं, अिंहसा संजमो तवो। देवा वि तस्स पणमंति, जस्स धम्मे सया मणो।।८।।’’ श्री गौतमस्वामी ने धर्म को मंगलस्वरूप और उत्कृष्ट—अनुत्तर सर्वश्रेष्ठ कहा है एवं अिंहसा, संयम और तप को धर्म कह रहे हैं। जिसके मन में यह धर्म है, देवता भी उन्हें नमस्कार करते हैं। इदानीं धर्मादीनां मलगालनादिहेतुतया परममंगलत्वं प्ररूपयन्नाह। धम्मो इत्यादि। धर्म उक्तलक्षण:।…