9.17 ‘‘पाहुडेसु—प्राभृतेषु।’’
‘‘पाहुडेसु—प्राभृतेषु।’’ अमृतवर्षिणी टीका— अर्थाधिकार बीस प्रकार का है क्योंकि सब वस्तुओं में प्राभृत संज्ञा वाले बीस—बीस अधिकार संभव हैं। श्री कुंदकुंद आचार्यदेव ने कहा है— एक्केक्कम्हि य वत्थू वीसं वीसं च पाहुडा भणिदा। विसम-समा हि य वत्थू सव्वे पुण पाहुडेहि समा।।१ गाथार्थ—एक—एक वस्तु में बीस—बीस प्राभृत कहे गये हैं। पूर्वों में वस्तुएँ सम व विषम…