2.सम्यग्दर्शन के कारण
सम्यग्दर्शन के कारण क्षायिकदृष्टिकोणलब्ध्यै या, समग्रर्षे प्रभुपिता। सा मे भूयात्त्वरं देव!, युष्मत्पादप्रसादत:।।१। । क्षायिक सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के लिए जो सामग्री आर्षग्रंथों में कही गई है। हे प्रभु! आपके चरण कमल के प्रसाद से वह मुझे शीघ्र ही प्राप्त होवे। मार्ग और मार्ग का फल ये दो प्रकार से ही जिनशासन में कहे गए हैं।…