11. पूजा नं.-10
पूजा नं.-10 भव्यजनों को भववारिधि से, कैसे पार करूँ मैं। अतिकरुणा से धर्मध्यानमय भाव धरें नित मन में।। ऐसे धार्मिक मनुज तीर्थंकर प्रकृति बंध करते हैं। उन तीर्थंकरों को जजते ही शिव लक्ष्मी वरते है।।१।। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य महामुनि-आदिशतनाममंत्रसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य महामुनि-आदिशतनाममंत्रसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ…