नंदीश्वर विधान
नंदीश्वर विधान 01. नंन्दीश्वर द्वीप समुच्चय पूजा 02. नंदीश्वर दीप पूर्वदिश जिनालय पूजा 03. नंदीश्वरद्वीप दक्षिणदिश जिनालय पूजा 04. नंदीश्वर द्वीप पश्चिमदिश जिनालय पूजा 05. नंदीश्वरद्वीप उत्तरदिश जिनालय पूजा
नंदीश्वर विधान 01. नंन्दीश्वर द्वीप समुच्चय पूजा 02. नंदीश्वर दीप पूर्वदिश जिनालय पूजा 03. नंदीश्वरद्वीप दक्षिणदिश जिनालय पूजा 04. नंदीश्वर द्वीप पश्चिमदिश जिनालय पूजा 05. नंदीश्वरद्वीप उत्तरदिश जिनालय पूजा
नंदीश्वरद्वीप उत्तरदिश जिनालय पूजा अथ स्थापना -गीता छंद- वरद्वीप नंदीश्वर सु उत्तर दिश त्रयोदश अचल हैं। अंजन दधीमुख रतिकरों पे, श्रीजिनेश्वर महल हैं।। प्रत्येक में जिनबिंब इकसौ आठ तिनकी थापना। बहुभक्ति से कर पूजहूँ, होवे तुरत हित आपना।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे उत्तरदिक्-त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे उत्तरदिक्-त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…
नंदीश्वर द्वीप पश्चिमदिश जिनालय पूजा अथ स्थापना -कुसुमलता छंद- नंदीश्वर में पश्चिम दिश में, तेरह जिन चैत्यालय जान। अंजनगिरि दधिमुख रतिकर पे, ऋद्धि सिद्धि कर सौख्यनिधान।। सिद्धरूप चिद्रूप चैत्य जिन, परमानंद सुधारस दान। आह्वानन स्थापन संनिध, करके पूजूँ जिन गुण खान।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे पश्चिमदिक्-त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे पश्चिमदिक्-त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र…
नंदीश्वरद्वीप दक्षिणदिश जिनालय पूजा -अथ स्थापना (अडिल्ल छंद)- नंदीश्वर वर द्वीप आठवों जानिये। तामें दक्षिण दिश तेरह नग मानिये।। तिन तेरह पे अकृत्रिम जिनसद्म हैं। पूजूँ मन वच काय हरे वसु कर्म हैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे दक्षिणदिक्त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे दक्षिणदिक्त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे…
नंदीश्वर दीप पूर्वदिश जिनालय पूजा -अथ स्थापना (गीताछंद)- वर द्वीप नंदीश्वर सुअष्टम, तीन जग में मान्य हैं। बावन जिनालय देवगण से, वंद्य अतिशयवान हैं।। पूरब दिशा के जैनगृह, तेरह उन्हों की वंदना। थापूं यहाँ जिनबिंब को, नितप्रति करूँ जिन अर्चना।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपसंबंधिपूर्वदिक्त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपसंबंधिपूर्वदिक्त्रयोदशजिनालयस्थजिनबिंबसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…
नंन्दीश्वर द्वीप समुच्चय पूजा -अथ स्थापना (गीता छंद)- सिद्धांत सिद्ध अनादि अनिधन, द्वीप नंदीश्वर कहा। मुनि वंद्य सुरनर पूज्य अष्टम द्वीप अतिशययुत महा।। वहाँ पर चतुर्दिक शाश्वते बावन जिनालय शोभते। प्रत्येक में जिनबिंब इक सौ आठ सुर मन मोहते।।१।। -दोहा- जिन प्रतिमा के जिनभवन, परमशांति के धाम। आह्वानन कर पूजते, मिले आत्मविश्राम।।२।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपसंबंधिद्वापंचाशत्-जिनालयजिनबिंबसमूह!…
श्रुतस्कंध विधान 01. ज्ञान पचीसी व्रत विधि 02 .श्रुतस्कंधव्रत-विधि 03 .श्रुतज्ञान व्रत 04 .मतिज्ञान के २८ मंत्र 05 .षट्खण्डागम ग्रंथ पूजा 06 .श्री षट्खण्डागम ग्रंथ स्तुति 07. श्री षट्खण्डागम ग्रंथराज की मंगल आरती 08 . अष्टसहस्री ग्रंथ पूजा 09. आचार्य श्री कुन्दकुन्द स्वामी की पूजन
आचार्य श्री कुन्दकुन्द स्वामी की पूजन रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती (तर्ज-माता तु दया करके……..) गुरुवर तेरी पूजा ही, मुझे पूज्य बनाएगी। तेरी सौम्य सहज मुद्रा, मेरे मन में समाएगी।। हे कुन्दकुन्द स्वामी, तव आत्मा कुन्दन है। हे पद्मनन्दि स्वामी, तुमको मम वन्दन है।। यह पादवन्दना ही, मनकलियाँ खिलाएगी। गुरुवर तेरी पूजा ही, मुझे पूज्य बनाएगी।।१।। आह्वानन करके…
अष्टसहस्री ग्रंथ पूजा रचयित्री – आर्यिका चन्दनामती -स्थापना (चौबोल छंद)- जिनशासन का इक न्याय ग्रंथ है, अष्टसहस्री कहें जिसे। इक सहस वर्ष पहले श्री, विद्यानंदि सूरि ने रचा उसे।। देवागम का स्तोत्र आप्त-मीमांसा से जो ख्यात हुआ। उसकी टीका के ग्रंथ को अष्ट-सहस्री नाम है प्राप्त हुआ।।१।। -दोहा- अष्टसहस्री ग्रंथ का, अर्चन है सुखकार। ज्ञान…
श्री षट्खण्डागम ग्रंथराज की मंगल आरती रचयित्री-ब्र. कु. सारिका जैन (संघस्थ) तर्ज-चाँद मेरे आ जा रे…………… आज हम आरति करते हैं-२ षट्खण्डागम ग्रंथराज की, आरति करते हैं।। महावीर प्रभू के शासन का, ग्रंथ प्रथम कहलाया। उनकी वाणी सुन गौतम, गणधर ने सबको बताया।। आज हम आरति करते हैं-२ वीरप्रभू के परम शिष्य की, आरति…