02. चौंसठ ऋद्धि पूजा
पूजा नं.-2 चौंसठ ऋद्धि पूजा —अथ स्थापना (गीता छंद)— चौबीस तीर्थंकर जगत में, सर्व का मंगल करें। गुणरत्न गुरु गुण ऋद्धिधर, नित सर्व मंगल विस्तरें।। गुणरत्न चौंसठ ऋद्धियाँ मंगल करें निज सुख भरें। मैं पूजहूूँ आह्वान कर मेरे अमंगल दुख हरें।।१।। ॐ ह्रीं चतु:षष्टिऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चतु:षष्टिऋद्धिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…