11. एक हजार चौबीस गुणसहित अष्टम पूजा
पूजा नं.8 एक हजार चौबीस गुणसहित अष्टम पूजा अथ स्थापना (तर्ज—जहाँ डाल डाल पर….) जिन सिद्धप्रभू जी की पूजन से, मिटता भव भव का फेरा। है वंदन उनको मेरा……२।। जहाँ काल अनंतानंतों तक, रहता निज में हि बसेरा। है वंदन उनको मेरा……२।। जिनके गुणमणियोें की माला, गूंथ गूंथ कर लाते। सुरपति चक्रवर्ति हर्षित हो, प्रभु…