01. नवदेवता पूजन
नवदेवता पूजन -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहाँ, मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु-जिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालय-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधु-जिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालय-समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…