01.4 अचल मेरु पूजा
पूजा नं.4 अचल मेरु पूजा -स्थापना—गीता छंद- श्री अचलमेरु राजता है, अपर धातकि द्वीप में। सोलह जिनालय तास में, जिनिंबब हैं उन बीच में।। प्रत्यक्ष दर्शन हो नहीं, अतएव पूजूँ मैं यहाँ। आह्वान विधि करके प्रभो, थापूँ तुम्हें आवो यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपस्थअचलमेरुसम्बन्धिषोडशजिनालय—जिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपस्थअचलमेरुसम्बन्धिषोडशजिनालय—जिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…