56. लांतव कापिष्ठ जिनालय पूजा
पूजा नं.-56 लांतव कापिष्ठ जिनालय पूजा अथ स्थापन-गीता छंद लावंत तथा कापिष्ठ स्वर्गों में पचास हजार हैं। जिनधाम शाश्वत मणिमयी जिनमूर्तियाँ अविकार हैं।। जिन आत्म सुख पीयूष का आस्वाद लेते मुनिवरा। वे भी इन्हें नित वंदते मैं पूजहूँ गुण रुचि धरा।।१।। ॐ ह्रीं लांतवकापिष्ठ स्वर्गमध्यस्थितपंचाशत्सहस्रजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं लांतवकापिष्ठ स्वर्गमध्यस्थितपंचाशत्सहस्रजिनलायजिनबिम्ब समूह!…