17. जम्बूद्वीपस्थ जंबूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा
पूजा नं.-17 जम्बूद्वीपस्थ जंबूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा —अथ स्थापना-गीता छंद— गिरि मेरु के उत्तर दिशी उत्तरकुरू शोभे अहा। उसमें सुदिक् ईशान के जम्बूंतरू राजे महान।। दक्षिण दिशा में देवकुरु नैऋत्य कोण सुहावनी। तरु शाल्मली शुभरत्नमय, सुंदर दिखे शाखाघनी।।१।। ॐ ह्रीं जंबूशाल्मलिवृक्षसंबंधिजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं जंबूशाल्मलिवृक्षसंबंधिजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।…