अथ पंचमवलय पूजा अथ स्थापना
अथ पंचमवलय पूजा अथ स्थापना -नरेन्द्र छंद- केवल ज्योति प्रगट होते ही, दश अतिशय प्रगटे हैं। अखिल१ विश्व में शांती हेतू, अद्भुत गुण चमके हैं।। तीर्थंकर के इन अतिशय को, पूजूँ मन वच मन से। गुणरत्नाकर२ में अवगाहन३ कर छूटूँ भव वन से।।१।। ॐ ह्रीं घातिक्षयजातिशयजिनगुणसंपत् समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं घातिक्षयजातिशयजिनगुणसंपत्…