02. श्री मुनिसुव्रतनाथ विधान
श्री मुनिसुव्रतनाथ विधान वंदना महाव्रतधरो धीर:, सुव्रतो मुनिसुव्रत:। नमस्तुभ्यं प्रदद्यान्मे, रत्नत्रयपूर्णताम्।।१।। -शंभु छंद- मुनिसुव्रत! सुव्रत के दाता, भव हर्ता मुक्ति विधाता हो। मैं नमूँ तुम्हें मेरे स्वामी, मुझको भी सिद्धि प्रदाता हो।। वह राजगृही नगरी धन है, त्रैलोक्य गुरू जहाँ थे जन्में। हैं धन्य सुमित्र पिता माता, सोमा भी धन्य हुईं जग में।।१।। श्रावण वदि…