अिंहसा सर्वश्रेष्ठ धर्म है गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी धर्म एक मिश्री के टुकड़े की भाँति है। जैसे मिश्री को आप चाहें स्वरुचि से खाएं या कोई जबरदस्ती खिला देवे किन्तु मुँह में जाने के बाद वह मीठी ही लगती है उसी प्रकार से धर्म को चाहे स्वरुचि से पालें अथवा गुरूप्रेरणा से, वह तो सदैव…