श्री विमलनाथ विधान
श्री विमलनाथ विधान 01. मंगलाचरण 02. श्री विमलनाथ स्तुति 03. श्री अर्हंत पूजा 04. तीर्थंकर श्री विमलनाथ की पूजा 05. पंचकल्याणक अर्घ्य 06. 108 अर्घ्य 07. जयमाला
श्री विमलनाथ विधान 01. मंगलाचरण 02. श्री विमलनाथ स्तुति 03. श्री अर्हंत पूजा 04. तीर्थंकर श्री विमलनाथ की पूजा 05. पंचकल्याणक अर्घ्य 06. 108 अर्घ्य 07. जयमाला
जयमाला -दोहा- पूरब भव में आपने, सोलहकारण भाय। तीर्थंकर पद पाय के, तीर्थ चलाया आय।।१।। -रोला छंद- दर्श विशुद्धि प्रधान, नित्यप्रती प्रभु ध्या के। अष्ट अंग से शुद्ध, दोष पच्चीस हटा के।। मन वच काय समेत, विनय भावना भायी। मुक्ति महल का द्वार, भविजन को सुखदायी।।२।। व्रतशीलों में आप, नहिं अतिचार लगाया। संतत ज्ञानाभ्यास, करके…
108 अर्घ्य सोरठा समवसरण प्रभु आप, त्रिभुवन की लक्ष्मी धरे। पूजूँ तुम चरणाब्ज, पुष्पांजलि अर्पण करूँ।।१।। इति मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत् चाल-पूजों पूजों श्री………. ‘वृहद्वृहस्पति’ प्रभु नाम है। सुरपति के गुरू सरनाम हैं। पूजते ही…
पंचकल्याणक अर्घ्य -रोला छंद- पुरी कंपिला नाम, पितु कृतवर्मा गृह में। जयश्यामा वर मात, गर्भ बसे शुभ तिथि में।। ज्येष्ठ वदी दश श्रेष्ठ, सुरपति नरपति पूजें। नमूँ आज शिर टेक, जजूँ कर्म अरि धूजें।।१।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णादशम्यां श्रीविमलनाथतीर्थंकरगर्भकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। …
पूजा नं. 2 तीर्थंकर श्री विमलनाथ की पूजा अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद अमल विमल पद पाकर स्वामी, विमलनाथ कहलाये। भाव-द्रव्य-नोकर्म मलों से, रहित शुद्ध कहलाये।। आत्मा के संपूर्ण मलों को, धोने हेतु जजूूँ मैं। आह्वानन स्थापन करके, पूजा करूँ भजूँ मैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविमलनाथतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…
पूजा नं. 1 श्री अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन् नम: हे अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर…
श्री विमलनाथ स्तुति कांपिल्यपुरी पितु कृतवर्मा, माता जयश्यामा विख्याता। शुभ ज्येष्ठ वदी दशमी प्रभु का, माता के गर्भ निवासा था। निर्मल त्रय ज्ञान सहित स्वामी, मल रहित गर्भ में तिष्ठे थे। सितमाघ चतुर्थी१ के दिन में, इन्द्रों से पूजित जन्मे थे।।१।। सित माघ चतुर्थी दीक्षा ली, सित माघ छट्ठ को ज्ञान हुआ। आषाढ़ वदी अष्टमि…
श्री विमलनाथ विधान मंगलाचरण कर्ममलविनिर्मुक्तो, विमलाय नमो नम:। तव नामस्मृतिर्लोकं, नैर्मल्यं कुरुते क्षणात्।।१।। चित्ते मुखे शिरसि पाणिपयोजयुग्मे। भक्तिं स्तुतिं विनतिमंजलिमंजसैव।। चेक्रीयते चरिकरीति चरीकरीति। यश्चर्करीति तव देव! स एव धन्यः।।२।। नमो नम: सत्त्वहितंकराय, वीराय भव्याम्बुजभास्कराय। अनन्तलोकाय सुरार्चिताय, देवाधिदेवाय नमो जिनाय।।३।। —पद्यानुवाद— मन में भक्ति धरें मुख से, संस्तुती करें अति भक्ति भरें। शिर से नमन करें…
बीस तीर्थंकर विधान 01. नवदेवता पूजन 02. बीस तीर्थंकर नाम स्तुति: 03. बीस तीर्थंकर नाम स्तुति (हिन्दी) 04. विद्यमान बीस तीर्थंकर पूजा 05. सीमंधर आदि चार तीर्थंकर पूजा 06. पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि विहरमाण 07. पश्चिमधातकीखण्डद्वीपस्थ तीर्थंकर पूजा 08. पूर्व पुष्करार्ध द्वीप तीर्थंकर पूजा 09. पश्चिम पुष्करार्धद्वीप संबंधि तीर्थंकर पूजा
पूजा नं.—6 पश्चिम पुष्करार्धद्वीप संबंधि तीर्थंकर पूजा -अथ स्थापना ( गीता छंद )- वर अपर पुष्कर द्वीप में, जो पूर्व अपर विदेह हैं। उनमें जिनेश्वर विहरते, भविजन धरें मन नेह हैं।। उन चार तीर्थंकर जिनेश्वर, की करूँ इत थापना। पूजूँ अतुल भक्ती लिये, पाऊँ अचल पद आपना।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधिपूर्वापरविदेहक्षेत्रस्थविहरमाण- श्रीवीरसेनमहाभद्रदेवयशोऽजितवीर्यनामचतुस्तीर्थंकरसमूह! …