श्री वास्तु विधान
श्री वास्तु विधान 01. -मंगलाष्टक- 02. अथ भूमिशोधनम्-भूमिशोधन विधि 03. वास्तु विधाान के मण्डल पर करने की विधिा 04. श्री वास्तु विधान पूजा 05. नवग्रहशांति स्तोत्र 06. णमोकार मंत्र स्तवन
श्री वास्तु विधान 01. -मंगलाष्टक- 02. अथ भूमिशोधनम्-भूमिशोधन विधि 03. वास्तु विधाान के मण्डल पर करने की विधिा 04. श्री वास्तु विधान पूजा 05. नवग्रहशांति स्तोत्र 06. णमोकार मंत्र स्तवन
णमोकार मंत्र स्तवन —आर्यिका चंदनामती —शिखरिणी छंद— णमो अरिहंताणं, नमन है अरिहंत प्रभु को। णमो सिद्धाणं में, नमन कर लूँ सिद्ध प्रभु को।। णमो आइरियाणं, नमन है आचार्य गुरु को। णमो उवज्झायाणं, नमन है उपाध्याय गुरु…
नवग्रहशांति स्तोत्र रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती -शंभु छन्द- सिद्धों का वंदन इस जग में, आतम सिद्धि का कारण है। इनकी भक्ति से भक्त करें, दुर्गति का सहज निवारण है।। सब तीर्थंकर भगवंत एक दिन, सिद्धि प्रिया को पाते हैं। इसलिए…
श्री वास्तु विधान पूजा -स्थापना द्धशंभु छंदऋ- अरिहन्त सि) को वन्दन कर, जिनराज चरण का धयान करूँ। भौतिक आधयात्मिक सुख हेतू, नव देवों का गुणगान करूँ।। कृत्रिम-अकृत्रिम चैत्यालय को, सादर विनत प्रणाम करूँ। जिनशासन रक्षक देव तथा, सब वास्तुदेव आह्नान करूँ।।1।। -दोहा- मंदिर महल मकान का, वास्तु रहे सुखकार। स्वस्थ सुखी हों भक्तजन, रहे सुखी…
वास्तु विधाान के मण्डल पर करने की विधिा वेद्यां मंडलमालिखार्चितसितैश्चूर्णैः सिताकल्पभृत्। नागाधाीशधानेशपीतवसना-लंकारपीतैश्च तैः।। नीलैर्नीरजनीलवेष सुमनो, रक्ताभरक्तैस्ततो। रक्ताकल्पककृष्णमेघविलसन्-कृष्णैश्च कृष्णप्रभ।।1।। पंचचूर्णस्थापनम्।। द्धमंडल पर पंचचूर्ण की स्थापना करेंऋ सन्मंगलस्यास्य कृते कृतस्य, कोणेषु बाह्यक्षितिमंडलस्य। वज्राणि चत्वारि च वज्रपाणिन्, वज्रस्य चूर्णेन लिखाद्य वेद्याम्।।2।। इति वज्रस्थापनम्।।…
अथ भूमिशोधनम्-भूमिशोधन विधि घंटाटंकारवीणाक्वणितमुरज-धाां-धाां क्रियाकाहलाच्छें – च्छेंकारोदारभेरीपटहधलधलंकारसंभूतघोषे । आक्रम्याशेषकाष्ठातटमथ झटिति प्रोच्चटत्युद्भटेऽभ्रं। शिष्टाभीष्टार्हदिष्टिप्रमुख इह लतांतांजलिं प्रोत्क्षिपामः।।1।। ॐ ह्रीं परमब्रह्मणे नमो नमः । स्वस्ति स्वस्ति जीव जीव नंद नंद वर्द्धस्व वर्द्धस्व विजयस्व विजयस्व अनुशाधि अनुशाधि पुनीहि पुनीहि पुण्याहं पुण्याहं मांगल्यं मांगल्यं पुष्पांजलिः।। …
सर्वप्रथम 9 बार णमोकार मंत्र पढ़ें, पुनः मंगलाष्टक पढ़कर पंचकुमार की पूजापूर्वक भूमिशोधान विधि सम्पन्न करें। -मंगलाष्टक- श्रीमन्नम्र-सुरासुरेन्द्र-मुकुट-प्रद्योत-रत्नप्रभा- भास्वत्पाद-नखेन्दवः प्रवचनाऽम्भोधीन्दवः स्थायिनः। ये सर्वे जिन-सिद्ध-सूर्यनुगतास्ते पाठकाः साधवः स्तुत्या योगिजनैश्च पंचगुरवः कुर्वन्तु ते (मे) मंगलम् ।।1।। सम्यग्दर्शन-बोध-वृत्तममलं रत्नत्रयं पावनं मुक्ति-श्री-नगराऽधिनाथ-जिनपत्युक्तोऽपवर्गप्रदः। धर्मः सूक्तिसुधाा च चैत्यमखिलं चैत्यालयं श्र्यालयं प्रोक्तं च त्रिविधं चतुर्विधममी कुर्वन्तु ते (मे) मंगलम्।।2।। नाभेयादि-जिनाधिपास्त्रिभुवनख्याताश्चतुर्विंशतिः श्रीमन्तो भरतेश्वरप्रभृतयो…
तेरहद्वीप विधान 01. तेरहद्वीप वंदना 02. चैत्यभक्ति 03. तेरहद्वीप पूजा (समुच्चय) 04. तेरहद्वीप शाश्वत जिनमंदिर पूजा 05. सुदर्शन मेरु पूजा 06. जंबूद्वीपस्थ जंबूवृक्ष-शाल्मलिवृक्ष जिनमंदिर पूजा 07. जंबूद्वीप पर्वत जिनमंदिर पूजा 08. धातकीखण्डद्वीप इष्वाकार जिनमंदिर पूजा 09. विजयमेरु पूजा 10. पूर्वधातकीखण्ड धातकीवृक्ष-शाल्मलिवृक्ष 11. पूर्व धातकीखण्ड पर्वत जिनमंदिर पूजा 12. अचलमेरु पूजा 13. पश्चिमधातकी खण्डस्थ धातकीवृक्ष-शाल्मलीवृक्ष जिनमंदिर…
बड़ी जयमाला -सोरठा- तेरहद्वीप महान, जिनगृह जिनप्रतिमा नमूँ। गुण रत्नों की खान, तीर्थंकर भगवन्त हैं।।१।। -शंभु छंद- जय जय अर्हंत देव जिनवर, जय जय छ्यालिस गुण के धारी। जय समवसरण वैभव श्रीधर, जय जय अनंत गुण के धारी।। जय जय जिनवर केवलज्ञानी, गणधर अनगार केवली सब। जय गंधकुटी में दिव्यध्वनी, सुनते असंख्य सुर नर पशु…
(पूजा नं. 30) सिद्ध पूजा अथ स्थापना (गीता छंद) इन ढाईद्वीपों में यहाँ जो, जन्मते नरश्रेष्ठ हैं। वे ही करम हन सिद्ध होते, वे प्रमुख परमेष्ठि हैं।। इन कर्मभूमी से हुए, सब सिद्ध की पूजा करूँ। सब सिद्ध का आह्वान कर, वर भक्ति से अर्चा करूँ।।१।। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधिसर्वस्थानेभ्य: सिद्धपदप्राप्तसर्वसिद्धसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …