06. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला -सोरठा- चिन्मय ज्योति स्वरूप, परमात्मा होते यहीं। नमूँ नमूँ चिद् रूप, चतामणि चैतन्य को।।१।। -शंभु छंद- जय जय अर्हंत देव जिनवर, जय जय छ्यालिस गुण के धारी। जय समवसरण वैभव श्रीधर, जय जय अनंत गुण के धारी।। जय जय जिनवर केवलज्ञानी, गणधर अनगार केवली सब। जय गंधकुटी में दिव्यध्वनी, सुनते असंख्य सुर नर…