09. निर्वाणपरमस्थानप्रदायक श्री महावीर पूजा
निर्वाणपरमस्थानप्रदायक श्री महावीर पूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आप पूजा करें, शीघ्र सिद्धी वरें, शक्ति दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन्…
निर्वाणपरमस्थानप्रदायक श्री महावीर पूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आप पूजा करें, शीघ्र सिद्धी वरें, शक्ति दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन्…
आर्हन्त्यपरमस्थान प्रदायक श्री शांतिनाथ पूजा अथ स्थापना-गीता छंद हे शांतिजिन! तुम शांति के, दाता जगत विख्यात हो। इस हेतु मुनिगण आपके, पद में नमाते माथ को।। आर्हन्त्य परमस्थान स्वामी, आपको जो पूजते। आर्हन्त्य लक्ष्मी प्राप्तकर वे, भव दु:खों से छूटते।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं आर्हन्त्यपरमस्थानप्रदायक! श्रीशांतिनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं आर्हन्त्यपरमस्थानप्रदायक! श्रीशांतिनाथतीर्थंकर!…
साम्राज्यपरमपदप्रदायक श्री शीतलनाथ पूजा -अथ स्थापना (शंभुछंद)- हे शीतल तीर्थंकर भगवन्! त्रिभुवन में शीतलता कीजे। मानस शारीरिक आगंतुक, त्रय ताप दूर कर सुख दीजे।। चारण ऋद्धीधारी ऋषिगण, निज हृदय कमल में ध्याते हैं। साम्राज्य परमपद स्वामी का आह्वान कर हर्षाते हैं।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं साम्राज्यपरमस्थानप्रदायक! श्रीशीतलनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं साम्राज्यपरमस्थानप्रदायक!…
सुरेन्द्रपरमस्थानप्रदायक श्री पार्श्वनाथ पूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-गोमटेश जय गोमटेश मम हृदय विराजो……..) पार्श्वनाथ जय पार्श्वनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना भाते हैं, प्रतिक्षण ऐसी रुचि बनी रहे। हो रसना में…
पारिव्राज्य परमस्थानप्रदायक श्री नेमिनाथ पूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-करो कल्याण आतम का……) नमन श्री नेमि जिनवर को, जिन्होंने स्वात्मनिधि…
सद्गृहस्थ परमस्थानप्रदायक श्री चन्द्रप्रभ पूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- अर्धचन्द्र सम सिद्ध शिला पर, श्रीचन्द्रप्रभ राजें। चन्द्रकिरण सम देह कांति को, देख चन्द्र भी लाजे।। सद्गार्हस्थ्य परमपद पाऊँ, नाथ! आप गुण गाके। आह्वानन स्थापन करके, यजन करूँ हर्षाके।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं सद्गार्हस्थ्य-परमस्थानप्रदायक! श्रीचन्द्रप्रभतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं सद्गार्हस्थ्य-परमस्थानप्रदायक! श्रीचन्द्रप्रभतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…
सज्जातिपरमस्थानप्रदायक श्री ऋषभदेव जिनपूजा स्थापना-गीता छंद हे ऋषभदेव जिनेन्द्र! आदिनाथ!युगस्रष्टा तुम्हीं। युग आदि में इस कर्मभूमी, के प्रभो! कर्ता तुम्हीं।। तुम ही प्रजापतिनाथ! मुक्ती के विधाता हो तुम्हीं। सज्जाति परमस्थान दाता, नाथ! अब तिष्ठो यहीं।। ॐ ह्रीं अर्हं सप्तपरमस्थानप्रदायक! श्री ऋषभदेव! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं सप्तपरमस्थानप्रदायक! श्री ऋषभदेव! अत्र तिष्ठ…
सप्तपरमस्थान तीर्थंकर पूजा (समुच्चय पूजा) -स्थापना-गीता छंद- तीर्थेश जिनवर सप्त को, प्रणमूँ सदा वर भाव से। श्री सप्तपरमस्थान हेतु, नित्य पूजूूँ चाव से।। आह्वान थापन सन्निधापन, भक्ति श्रद्धा से करूँ। सज्जाति से निर्वाण तक, पद सप्त की अर्चा करूँ।।१।। -दोहा- ऋषभदेव श्रीचंद्रप्रभ, नेमि पार्श्व भगवान। शीतल जिन श्री शांतिप्रभु-महावीर गुणखान।।२।। ॐ ह्रीं अर्हं सप्तपरमस्थानप्रदायक! श्री…
मंगलाचरण ॐ नमो मंगलं कुर्यात्, ह्रीं नमश्चापि मंगलम्। मोक्षबीजं महामंत्रं, अर्हं नम: सुमंगलम्।।१।। ऋषभेश्वर! नौमि त्वां, सज्जातिपददायकम्। चंद्रप्रभं जिनं वन्दे, सद्गार्हस्थ्यविधायकम्।।२।। नेमिनाथ! नमामि त्वां, पारिव्राज्यपदाप्तये। सुरेन्द्रत्वपदप्राप्त्यै, पार्श्वनाथं नमाम्यहम्।।३।। शीतलेश! नमामि त्वां, साम्राज्यस्थानप्राप्तये। आर्हन्त्यपदप्राप्त्यर्थं, शांतिनाथं नुमो मुदा।।४।। निर्वाणपदलब्ध्यर्थं, महावीरस्वामिनं नुम:। सप्ततीर्थंकरान् नौमि, सप्तभयविहानये।।५।। सप्ततीर्थंकरा लोके, सप्तपरमस्थानदा:। सर्वसिद्धिप्रदातार-स्तेभ्यो मेऽनन्तशो नम:।।६।। सप्तभूमिमतिक्रम्य, येऽष्टमीभूमिहेतवे। यजन्ते भक्तितो भव्या:, प्राप्नुवन्त्यन्तिमां गतिम्।।७।।…
ऋषभदेव समवसरण विधान 01. मंगल स्तोत्र 02. समवसरण पूजा 03. तीर्थंकर गुण पूजा 04. गणधर पूजा 05. सर्वसाधु पूजा 06. आर्यिका पूजा 07. बड़ी जयमाला