4. व्यवहारनय-निश्चय
(४) व्यवहारनय-निश्चय व्यवहारेण मोक्षस्य, मार्गमाश्रित्य निश्चितात्। मार्ग प्रतिभाये भव्य:, क्रम एष सनातन:।।१।। भव्य व्यवहार से मोक्षमार्ग का आश्रय लेकर निश्चित रूप से मार्ग का आश्रय लेते हैं, अर्थात् भव्य व्यवहार से मोक्षमार्ग का आश्रय लेकर ही निश्चित मोक्षमार्ग प्राप्त होता है, यही क्रम सनातन है-अनादिनीधन है। (प्रत्येक वस्तु अनंतधार्मिक है। उनमें से एक-एक धर्म को…